जादुई संसार की अद्भुत कहानी ( Amazing story of magical world )

जादुई संसार की अद्भुत कहानी

Amazing story of magical world

बहुत समय पहले की बात है। एक छोटा सा गाँव था जिसका नाम था सुरजपुर। इस गाँव में एक रहस्यमयी जंगल था। यह जंगल दिन में भी घना और डरावना लगता था। गाँव के लोग इस जंगल के पास जाने से डरते थे। 

गाँव में एक लड़का था, जिसका नाम था अर्जुन। अर्जुन बहुत साहसी था। उसे नई-नई जगहें और रहस्य जानने का शौक था। एक दिन, उसने ठान लिया कि वह इस जंगल के अंदर जाकर उसकी सच्चाई जानकर ही रहेगा।

उसने अपनी माँ से अनुमति माँगी। माँ ने पहले तो मना किया, लेकिन अर्जुन की जिद के आगे उन्हें हार माननी पड़ी। उसने अपने साथ खाने-पीने का सामान और एक पुरानी किताब ले ली। 

किताब उसकी दादी ने उसे दी थी। दादी ने कहा था कि यह किताब उसकी हर मुश्किल में मदद करेगी। अर्जुन को यह बात मजाक लगी, लेकिन वह किताब साथ ले गया।

जंगल का रास्ता बहुत मुश्किल और कंटीला था। अर्जुन ने धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू किया। रास्ते में उसे अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगीं। जैसे ही वह कुछ और आगे बढ़ा, उसने देखा कि एक बड़ी सी झाड़ी में कुछ चमक रहा है।

अर्जुन ने झाड़ी के पास जाकर देखा। वहाँ एक छोटा सा जादुई पत्थर था। उसने वह पत्थर उठाया और अपनी जेब में रख लिया। अचानक, उसके सामने एक बूढ़ी औरत प्रकट हुई। 

उस औरत ने कहा, "अर्जुन, यह जादुई पत्थर तुम्हारी हर मुश्किल को हल कर सकता है, लेकिन इसे सही तरीके से इस्तेमाल करना जरूरी है।" अर्जुन ने सिर हिलाया और औरत का धन्यवाद किया।

जैसे ही अर्जुन आगे बढ़ा, उसने देखा कि जंगल में और भी अद्भुत चीजें हैं। एक जगह पर उसे एक छोटा सा तालाब मिला, जिसमें पानी नहीं, बल्कि रंग-बिरंगे तरल पदार्थ भरे हुए थे। 

तालाब के किनारे पर एक सुनहरी मछली थी। मछली ने अर्जुन से कहा, "अगर तुम इस तालाब का पानी पी लोगे, तो तुम्हें जादुई शक्तियाँ मिलेंगी। लेकिन इसका एक नियम है।"

अर्जुन ने पूछा, "क्या नियम है?"

मछली ने कहा, "तुम्हें हर दिन इस तालाब का पानी पीना होगा, और अगर तुमने एक भी दिन मिस कर दिया, तो तुम्हारी सारी शक्तियाँ चली जाएँगी।" अर्जुन ने सोचा और फिर तालाब का पानी पी लिया।

जैसे ही उसने पानी पीया, उसे लगा कि उसके शरीर में एक अजीब सी ऊर्जा भर गई है। उसने महसूस किया कि वह अब हवा में उड़ सकता है। अर्जुन ने तुरंत उड़ना शुरू किया और जंगल के ऊपर से देखने लगा।

जंगल के बीचों-बीच उसे एक बड़ा सा महल दिखाई दिया। उसने महल की ओर उड़ान भरी और जल्दी ही वहाँ पहुँच गया। महल के अंदर एक बड़ा सा दरबार था। वहाँ एक राजा बैठा हुआ था।

राजा ने अर्जुन को देखकर मुस्कराया और कहा, "अर्जुन, मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा था। तुम्हें इस महल का रहस्य जानने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना होगा।"

अर्जुन ने साहस से कहा, "मैं हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हूँ।"

राजा ने एक तालिका में लिखा हुआ देखा और कहा, "पहली चुनौती यह है कि तुम्हें इस महल के सात दरवाजों को पार करना होगा। हर दरवाजे के पीछे एक अलग रहस्य छिपा हुआ है।"

अर्जुन ने पहली चुनौती की ओर कदम बढ़ाया। पहला दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि वहाँ एक विशालकाय साँप बैठा हुआ था। साँप ने अर्जुन से कहा, "अगर तुम मेरे प्रश्न का सही उत्तर दोगे, तो मैं तुम्हें आगे जाने दूँगा।"

साँप ने पूछा, "इस संसार में सबसे कीमती चीज क्या है?"

अर्जुन ने कुछ सोचा और फिर उत्तर दिया, "विश्वास।" साँप ने सिर हिलाया और कहा, "सही उत्तर। जाओ, आगे बढ़ो।"

दूसरा दरवाजा खोलते ही अर्जुन ने देखा कि वहाँ एक अंधेरा कमरा था। कमरे के बीचों-बीच एक दीपक जल रहा था। दीपक ने अर्जुन से कहा, "अगर तुम मुझे बुझा दोगे, तो यह कमरा रोशनी से भर जाएगा।"

अर्जुन को यह सुनकर आश्चर्य हुआ। उसने दीपक को बुझाने का प्रयास किया, लेकिन दीपक बुझा नहीं। उसने किताब खोली और देखा कि किताब में लिखा था, "सच्चाई की रोशनी कभी नहीं बुझती।" 

अर्जुन ने दीपक को देखते हुए कहा, "सच्चाई की रोशनी कभी नहीं बुझती।" यह कहते ही दीपक और तेज जलने लगा और कमरा रोशनी से भर गया।

अर्जुन ने तीसरा दरवाजा खोला। वहाँ एक खूबसूरत बगीचा था। बगीचे के बीचों-बीच एक पेड़ था। पेड़ पर एक सुनहरी सेब लटका हुआ था। सेब ने अर्जुन से कहा, "अगर तुम मुझे तोड़कर खा लोगे, तो तुम्हें अनंत ज्ञान मिल जाएगा। लेकिन इसके लिए तुम्हें अपनी सबसे प्रिय वस्तु की बलि देनी होगी।"

अर्जुन ने सोचा और फिर अपने जेब से जादुई पत्थर निकाला। उसने सेब को दिया और सेब को तोड़कर खा लिया। अचानक, अर्जुन को सभी रहस्यों का ज्ञान प्राप्त हो गया।

अर्जुन ने चौथा दरवाजा खोला। वहाँ एक विशाल पहाड़ था। पहाड़ ने अर्जुन से कहा, "अगर तुम मुझे पार कर लोगे, तो तुम्हें अमरत्व प्राप्त होगा। लेकिन तुम्हें अपने सभी डर को हराना होगा।"

अर्जुन ने साहस जुटाया और पहाड़ को पार करने लगा। रास्ते में उसे कई डरावनी चीजें दिखाई दीं, लेकिन उसने अपनी हिम्मत नहीं खोई और अंततः पहाड़ को पार कर लिया।

पाँचवा दरवाजा खोलते ही अर्जुन ने देखा कि वहाँ एक नदी बह रही थी। नदी ने अर्जुन से कहा, "अगर तुम इस नदी को पार कर लोगे, तो तुम्हें अपने सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा। लेकिन इसके लिए तुम्हें अपनी सभी गलतियों को स्वीकार करना होगा।"

अर्जुन ने अपनी सभी गलतियों को स्वीकार किया और नदी पार करने लगा। जैसे ही वह नदी पार हुआ, उसे अपने सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए।

छठा दरवाजा खोलते ही अर्जुन ने देखा कि वहाँ एक बड़ा सा आईना था। आईने ने अर्जुन से कहा, "अगर तुम अपनी असली पहचान जानना चाहते हो, तो इस आईने में देखो। लेकिन इसके लिए तुम्हें अपनी सारी अच्छाइयों और बुराइयों को स्वीकार करना होगा।"

अर्जुन ने आईने में देखा और अपनी असली पहचान को स्वीकार किया। उसने महसूस किया कि वह एक साधारण इंसान है, लेकिन उसमें अद्भुत शक्तियाँ हैं।

अर्जुन ने सातवाँ और आखिरी दरवाजा खोला। वहाँ एक सुनहरी सिंहासन था। सिंहासन ने अर्जुन से कहा, "अगर तुम इस सिंहासन पर बैठोगे, तो तुम्हें सभी शक्तियाँ और ज्ञान प्राप्त होंगे। लेकिन इसके लिए तुम्हें अपने सारे अहंकार को त्यागना होगा।"

अर्जुन ने अपने सारे अहंकार को त्याग दिया और सिंहासन पर बैठ गया। जैसे ही उसने सिंहासन पर बैठा, उसे लगा कि उसके अंदर एक नई ऊर्जा और ज्ञान भर गया है।

अर्जुन ने महल से बाहर आकर देखा कि पूरा जंगल बदल चुका था। अब वह डरावना नहीं, बल्कि बहुत ही सुंदर और मनोहारी लग रहा था। गाँव के लोग भी जंगल में आकर खुश थे।

अर्जुन ने महसूस किया कि वह अब एक साधारण इंसान नहीं रहा, बल्कि एक महान योद्धा और ज्ञानी बन चुका है। उसने अपने गाँव को भी खुशहाल बना दिया और सभी को सच्चाई, साहस और विश्वास का पाठ पढ़ाया।

इस तरह, अर्जुन ने अपनी साहसिक यात्रा को पूरा किया और एक महान योद्धा के रूप में अपनी पहचान बनाई। उसकी कहानी हमेशा के लिए एक प्रेरणा बन गई, जो लोगों को सच्चाई, साहस और विश्वास के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती रही।