नर्क की पुकार
किसी गाँव में एक लड़का था, जिसका नाम राहुल था। उसकी उम्र करीब बीस साल थी। राहुल बहुत ही साहसी था, लेकिन उसकी एक कमजोरी थी—उसके अंदर का अत्यधिक जिज्ञासा। वह हमेशा रहस्यमयी और भयानक कहानियों के पीछे भागता रहता था।
एक रात, गाँव में एक अजीब घटना घटी। गाँव के बड़े पेड़ के पास एक अजनबी दिखाई दिया। उसकी आँखें खून जैसी लाल थीं और चेहरा डरावना था। वह गाँव के लोगों को चेतावनी देने आया था। उसने कहा, "इस गाँव के बाहर वाले पुराने किले में एक भयानक रहस्य छिपा है। जो भी वहाँ जाएगा, वह कभी वापस नहीं आएगा।"
यह सुनकर गाँव के लोग बहुत डर गए। लेकिन राहुल की जिज्ञासा और भी बढ़ गई। उसने सोचा, "इस रहस्य को जानना ही होगा।" अगली रात, चाँदनी की हल्की रोशनी में, राहुल ने किले की ओर कदम बढ़ाए।
किला एकदम सुनसान था। वहाँ एक गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था। किले के दरवाजे पर एक पुराना ताला था, जो धूल से ढका हुआ था। राहुल ने अपने बैग से ताला खोलने का औजार निकाला और ताला खोल दिया। दरवाजे के खुलते ही, एक ठंडी हवा का झोंका आया, जिससे राहुल की रीढ़ की हड्डी तक सिहर उठी।
अंदर घुसते ही, उसे चारों ओर खंडहर और पुराने दीवारों के निशान दिखाई दिए। अचानक, उसे एक धीमी आवाज सुनाई दी—जैसे कोई बहुत दूर से उसे पुकार रहा हो। उसने उस आवाज के पीछे चलना शुरू किया।
आवाज उसे किले के एक गहरे तहखाने की ओर ले गई। तहखाने के दरवाजे पर एक अजीब निशान बना हुआ था। राहुल ने दरवाजा खोला और अंदर प्रवेश किया। तहखाना बहुत ही अंधेरा और भयानक था। वहाँ एक पुराना चिराग था, जिसे उसने जलाया।
चिराग की रोशनी में, उसने देखा कि तहखाने की दीवारों पर अजीबोगरीब चित्र बने हुए थे। उनमें से एक चित्र ने उसकी नजर खींच ली। उस चित्र में एक आदमी को नर्क की आग में जलते हुए दिखाया गया था। तभी, राहुल को अचानक एक जोरदार चीख सुनाई दी।
वह चीख इतनी भयानक थी कि राहुल के कानों में गूंजने लगी। उसने पीछे मुड़कर देखा, तो उसे वहाँ कोई नहीं दिखाई दिया। लेकिन उसकी धड़कन तेज हो गई थी। उसने महसूस किया कि कोई उसे देख रहा है।
वह आगे बढ़ा और तहखाने के एक कोने में एक पुरानी किताब पड़ी हुई देखी। उसने वह किताब उठाई और पढ़ना शुरू किया। किताब में लिखा था कि इस किले में एक प्राचीन आत्मा का वास है, जिसे सदियों पहले एक तांत्रिक ने बंदी बना लिया था।
वह आत्मा बहुत शक्तिशाली और खतरनाक थी। उसे मुक्त करने के लिए एक विशेष अनुष्ठान करना पड़ता था। राहुल ने सोचा, "मुझे यह अनुष्ठान करके इस आत्मा को मुक्त करना चाहिए।" उसने किताब के निर्देशानुसार अनुष्ठान शुरू किया।
अनुष्ठान के दौरान, उसने महसूस किया कि किले की दीवारें हिलने लगी हैं। चारों ओर से अजीब आवाजें आने लगीं। अचानक, एक जोरदार विस्फोट हुआ और तहखाने की दीवारें टूट गईं। एक भयानक आत्मा ने वहाँ प्रकट होकर राहुल की ओर देखा।
उस आत्मा ने कहा, "तुमने मुझे मुक्त कर दिया, लेकिन इसके लिए तुम्हें भारी कीमत चुकानी होगी।" राहुल ने डरते हुए पूछा, "क...कौन हो तुम?" आत्मा ने जवाब दिया, "मैं नर्क का रक्षक हूँ।"
आत्मा ने अपनी शक्ति से राहुल को बांध लिया और उसे नर्क की ओर खींचने लगी। राहुल ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। उसने चिल्लाते हुए कहा, "मुझे जाने दो, प्लीज!"
आत्मा ने एक भयानक हंसी के साथ कहा, "अब तुम कभी वापस नहीं जा सकोगे। तुमने अपनी जिज्ञासा से नर्क का द्वार खोल दिया है।"
राहुल ने अपने जीवन की सारी घटनाएँ अपनी आँखों के सामने घूमती हुई देखीं। उसने सोचा, "काश, मैंने अपनी जिज्ञासा पर काबू पाया होता।" धीरे-धीरे, आत्मा ने उसे नर्क में खींच लिया।
अगले दिन, गाँव में लोग राहुल को खोजने निकले। लेकिन उन्हें सिर्फ उसके जले हुए कपड़े और किले की टूटी हुई दीवारें मिलीं। गाँव के लोग समझ गए कि राहुल अब कभी वापस नहीं आएगा।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अत्यधिक जिज्ञासा कभी-कभी हमें भयानक परिणामों की ओर ले जा सकती है। हमें हर रहस्य की खोज में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि कुछ रहस्य हमारी पहुँच से बाहर होते हैं।